कुछ भी बोलो सबसे पहला बात अगर हमारे मुंह पर आता है, तो वह है शब्द। तो हमें यह जानना उत्सुकता भरा प्रश्न है कि आखिर शब्द क्या होते हैं, यानी शब्द किसे कहते हैं और यह हमारे उपयोग में कैसे आते हैं ?
दरअसल कहे तो शब्द एक संगम है, घबराइए मत यह कोई परिभाषा तो नहीं है। परिभाषा के रूप से कहें तो " दो या दो से अधिक ध्वनियों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं " यहां ध्वनि का तात्पर्य वर्ण है। भाषा किसे कहते हैं
जैसे - र् + आ + त् + अ = रात । 'रात' एक शब्द है, जिसमें उक्त चार ध्वनियां है।
शब्द के भेद
शब्द किसे कहते हैं यह जान लेने के बाद हमें शब्द के भेदों को जाना आवश्यक होता है और शब्दों के भेदों को जानने के लिए हमें इसका वर्गीकरण जानना आवश्यक है, क्योंकि सभी भेदों का वर्णन इसके वर्गीकरण के अनुसार किया गया है, और उसी आधार पर शब्द के वर्गीकरण के सामान्यतः पाँच आधार माने गए हैं :
(क) अर्थ के विचार से
(ख) रचना या व्युत्पत्ति के विचार से
(ग) उत्पत्ति या उद्गम के विचार से
(घ) रूपान्तर या रूप परिवर्तन के विचार से
(ङ) वाक्य में प्रयोग की दृष्टि से
अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
अर्थ के आधार पर शब्द को दो प्रकार से बांटा गया है : सार्थक शब्द तथा निरर्थक शब्द, हम जानेंगे सार्थक शब्द तथा निरर्थक शब्द किसे कहते हैं।
1. सार्थक शब्द
वह शब्द जिसका कुछ अर्थ निकलता हो, यानी कि ऐसा शब्द इसका अर्थ हम जानते हैं या बयान कर सकते हैं, उसे सार्थक शब्द कहते हैं। जैसे- पानी, अंशु, रश्मि, रंजू आदि।
2. निरर्थक शब्दः
वह शब्द जिसका कोई वास्तविक अर्थ स्पष्ट नहीं हो तथा जिसका व्याकरण में कोई स्थान न हो, उसे निरर्थक शब्द कहते हैं। जैसे- उआ, इऊर आदि।
रचना के आधार पर शब्द के भेद
रचना के आधार पर तीन प्रकार के शब्द होते हैं : रूढ़ , यौगिक तथा योगरूढ़,
अब हम रूढ़ यौगिक तथा योगरूढ़ शब्दों के परिभाषा को जानेंगे।
1. रूढ़ शब्द
ऐसा शब्द जिसका कोई भी खण्ड सार्थक न हो, अर्थात यदि इसका खंड किया जाए, तो कोई भी खंड एक वास्तविक अर्थ ना देता हो, उसे रूढ़ शब्द कहते है। जैसे- एक, मत आदि।
2.यौगिक शब्द
ऐसा शब्द जिसके सभी खण्ड सार्थक हो, अर्थात ऐसे शब्दों का खंड करने पर सभी खंड एक वास्तविक अर्थ प्रदान करते हो, यौगिक शब्द कहते है। यौगिक शब्द प्रायः दो रूढ़ शब्दों के मिलने से बनते हैं। जैसे - रसोई + घर = रसोईघर , धर्म + अर्थ = धर्मार्थ।
3. योगरूढ़ शब्द
वैसे शब्द जिसके खण्ड सार्थक हों, साथ ही उनसे निकलने वाले अर्थ भिन्न हो या विशेषार्थ के द्योतक हों, अर्थात शब्दों के खंड करने पर उनके निकलने वाले अर्थ विशेष हों योगरूढ़ शब्द कहलाते है। जैसे- 'पंकज' शब्द 'पंक' और 'ज' के मेल से बना है, सका विशेष अर्थ है कमल ।
उत्पत्ति या उद्गम के आधार पर शब्द के भेद
उत्पत्ति या उद्गम के विचार से शब्द चार प्रकार के माने गए हैं : तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशज
1. तत्सम शब्द
संस्कृत के वैसे मूल शब्द, जिनका व्यवहार हिन्दी में भी होता है उसे तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे : - करवेल, खर्पर, कर्पूर तथा पुस्तक आदि।
2. तद्भव शब्द
तत्सम के विकृत रूप वाले शब्दों को तद्भव शब्द कहते हैं। जैसे :
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द |
---|---|
कर्पूर | कपूर |
खर्पर | खपरा |
अग्नि | आग |
करवेल | करेला |
सर्षप | सरसों |
पर्यंक | पलंग |
3. देशज शब्द
वैसे शब्द, जो बोलचाल तथा देश की अन्य भाषाओं से गृहीत हुए होते हैं , देशज शब्द कहलाते हैं ।
जैसे - कटोरा, लोटा तथा पगड़ी आदि।
4. विदेशज शब्द
आराम - फारसी,
डॉक्टर- अंग्रेजी,
स्कूल - अंग्रेजी
आलू - पुर्तगाली
नीलाम - पुर्तगाली
कालीन - तुर्की
लास - तुर्की
दाम - ग्रीक
जुजुत्सु, - जापानी
रूपांतर के आधार पर शब्द के भेद
विकारी शब्द
अविकारी शब्द
वाक्यों में प्रयोग के विचार से शब्द के भेद
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
- क्रिया विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
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