जब भी किसी चीज को गिनने की बात आये और वहां वचन का जिक्र न हो ऐसा हो ही नहीं सकता , क्योकि वचन वही शब्द है जो हमें गिनती की बोध कराता है , पर यह कोई परिभाषा तो नहीं हुआ।
अगर हम से कोई पूछे की आखिर वचन किसे कहते हैं , तो हम क्या कहेंगे , या अगर हमारे प्रश्न पत्र में यह प्रश्न आ गया की वचन किसे कहते हैं. तो हम कैसे लिखेंगे आइये जानते हैं .
संस्कृत व्याकरण विद्वानों के अनुसार उच्यते संख्याऽनेन इति वचनम् अर्थात् संज्ञा, सर्वनाम आदि की संख्या बतलाने वाले को 'वचन' कहते हैं,
हिंदी व्याकरण के अनुसार शब्द के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की एक या अनेक संख्या का बोध हो, 'वचन' कहलाते हैं।
वचन के भेद
वचन किसे कहते हैं जानने के बाद अगर हम वचन के भेद की बात करें तो: वचन के दो भेद हैं- एकवचन और बहुवचन । एकवचन से एक का तथा बहुवचन से एकाधिक का बोध होता है।
एक वचन किसे कहते हैं ?
बहुवचन किसे कहते हैं ?
एक वचन से बहुवचन
वचन किसे कहते है , इस प्रश्न से ज्यादा हमें एक वचन से बहुवचन बनाने के लिए पूछा जाता है , तो हम आपको बता दें कि एकवचन से बहुवचन दो तरह से बनाये जाते हैं- सविभक्तिक और निर्विभक्तिक
जैसे:- लड़का शब्द का दो बहुचन होता है :- (i) लड़के (निर्विभक्तिक) (ii)लड़कों (सविभक्तिक)।
एक वचन से बहुवचन बनाने के नियम
🔰 अकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के अन्तिम 'अ' को 'एँ' कर देने से बहुवचन शब्द बन जाते हैं। जैसे- आँख आँखें ।
🔰 इकारान्त और ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अन्तिम 'ई' को 'इ' करके अन्त में 'याँ' जोड़ना चाहिए। जैसे- लड़की - लड़कियाँ आदि ।
🔰 याकारान्त (जिसके अन्त में 'या' हो) शब्द को बहुवचन बनाने के लिए 'या' के ऊपर चन्द्रबिन्दु (-) लगा देना चाहिए)। जैसे : चिड़िया - चिड़ियाँ आदि।
🔰 पुलिंग आकारान्त शब्दों के अन्त में 'आ' की जगह 'ए' कर देने से बहुवचन रूप बन जाता है। जैसे- लड़का लड़के आदि ।
🔰 उकारान्त या ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा के अन्त में 'ऊ' को 'उ' कर के अन्त में 'एँ' लगाकर बहुवचन रूप बनाया जाता है। जैसे- बहू - बहुएँ, वस्तु - वस्तुएँ आदि।
🔰 कुछ पुलिंग या स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में गण, वर्ग, जन, लोग अथवा वृन्द लगाकर भी बहुवचन रूप बनाया जाता है। जैसे: पाठक - पाठकगण, स्त्री - स्त्रीजन, नारी - नारीवृन्द,आदि।
सभी इकारान्त और ईकारान्त संज्ञाओं का सविभक्तिक बहुवचन बनाने के लिए अन्त में 'याँ' जोड़ा जाता है।
🔰 'इकारान्त' शब्दों में 'यों' जोड़ने के पहले 'ई' का 'इ' कर दिया जाता है। जैसे- मुनि - मुनियों, गली - गलियों आदि।
Note: प्रत्येक' तथा 'हरएक' का प्रयोग सदा एकवचन में ही होता है।
🔰 भाववाचक और गुणवाचक संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में होता है, लेकिन जहाँ संख्या या प्रकार का बोध हो, वहाँ गुणवाचक और भाववाचक संज्ञाएँ बहुवचन में भी प्रयुक्त हो सकती हैं।
🔰 द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में होता है, किन्तु यदि द्रव्य के भिन्न-भिन्न प्रकारों का बोध हो तो उनका प्रयोग बहुवचन में भी होता है। जैसे- मेरे पास बहुत सोना है (एकवचन) यहाँ बहुत प्रकार के सोने मिलते हैं (बहुवचन)।
Note :-प्राण, लोग, दर्शन, आँसू, ओठ, दाम, अक्षत, नेत्र, बाल, भाग्य, हस्ताक्षर तथा होश आदि का प्रयोग सदा बहुवचन में ही होता है।
🔰 वृन्द, लोग, जन, गण, सब आदि जुड़े शब्दों का प्रयोग सदा बहुवचन में ही होता है।
🔰 जातिवाचक संज्ञा के एकवचन प्रयोग में बहुत्व का भी बोध होता है। जैसे- घोड़ा बली पशु है।
🔰यदि कोई शब्द बहुवचन बोधक हो तो उसका बहुजनन नहीं बनाना चाहिए। हाँ, भिन्नता के अर्थ में ऐसा हो सकता है। जैसे- जाने की तैयारी करो। दोनों सेना में लड़ने की तैयारियाँ होनी लगीं।
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