आज जोड़ों में दर्द आम इंसान के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है, जिसे देखो हर कोई जोड़ों में दर्द का एक पीड़ित इंसान है, इन्हीं बातों से हम आज आपको बताने जा रहे हैं जोड़ों में दर्द के कुछ उपाय।
दरअसल पेशेवर और निजी जीवन में गैजेट का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है।
अब आप कहेंगे कि भाई गैजेट के इस्तेमाल से जोड़ों में दर्द की क्या वजह हो सकती है तो चलिए आपको बताते हैं कि किस तरह से हमारे आस पास के गैजेट हमारे जोड़ों के दर्द बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
हम अगर देखें तो हमारे घरों में बिना प्रोफेशनल सेटअप के देर तक गैजेट का इस्तेमाल कई तरह की दिक्कतें पैदा कर रहा है।
जोड़ों में दर्द के उपाय
कैसे और क्यों का विश्लेषण हम नीचे करने जा रहे हैं। ......
कैम्ब्रिज ओपन एंगेज रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में विभिन्न प्रकार के गैजेट के इस्तेमाल में लगभग 30-40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई हैं।
हालांकि कोरोना की स्थितियों में सुधार आ रहा है, पर लोगों को गैजेट की लत पड़ चुकी है। गैजेट के इस्तेमाल के समय पॉस्चर सही न रखना, जोड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें, तो गैजेट्स के कारण गर्दन, कमर, हाथों और पैरों से जुड़ी समस्याओं के मामले काफी बढ़े हैं।
सर्वाइकल का दर्द
गर्दन में दर्द होने को चिकित्सीय भाषा में सर्वाइकल पेन कहते हैं।
गर्दन से होकर गुजरने वाले सर्वाइकल स्पाइन के जोड़ों और डिस्क में समस्या होने से सर्वाइकल पेन हो जाता है।
कंप्यूटर पर लगातार कई घंटों झुककर काम करना और मोबाइल को सिर और कंधे के बीच में फंसाकर लंबी बातें करना सर्वाइकल पेन के जोखिम को सबसे ज्यादा बढ़ाते हैं।
समय पर ध्यान न दिया जाए. तो सर्वाइकल पेन गर्दन से आगे बढ़कर शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाता है।
सर्वाइकल का इलाज
सर्वाइकल के इलाज के लिए अपने शरीर के पॉस्चर को हमेशा ठीक रखें।
मोबाइल को कान और कंधे के बीच में फंसाकर बात न करें।
अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें।
लोअर बैक पेन
कंप्यूटर पर काम करने से स्लिप डिस्क की समस्या हो जाती है।
लंबे समय तक लैपटॉप को गोद में रखकर काम करने से स्पाइन मुड़ जाती है। स्पाइन से जुड़ी यही समस्याएं गंभीर कमर दर्द का कारण बन जाती है जिसे हम लोअर बैक पेन भी कहते हैं।
लोअर बैक पेन का इलाज
लैपटॉप को हमेशा स्टैंड पर रखकर काम करें झुक कर काम करने की बजाय कुर्सी पर बैठे हैं। ऊंचाई पर बैठे हैं और इस बात का ध्यान रखें कि आपके दोनों पर ही रहने चाहिए।
टेक नेक
स्मार्टफोन और दूसरे गैजेट का अधिक इस्तेमाल करते समय गर्दन को लगातार मोड़ने से गर्दन के पिछले भाग पर बहुत दबाव पड़ता है, इससे सर्वाइकल स्पाइन और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।
इससे सिर को हिलाने-डुलाने में परेशानी होती है। समय रहते ध्यान न देने से टेक नेक के कारण रीढ़ और गर्दन के हिस्से की मांसपेशियां स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
टेक नेक का इलाज
किसी भी गैजेट पर कभी भी झुककर काम न करें। हमेशा गर्दन सीधी रखें। नीचे देखने से बचें, और हमेशा गैजेट्स को आंखों के स्तर पर रखें।
लगातार काम करने से गर्दन को हिलाने डुलाने में परेशानी हो रही हो, तो कुछ देर का ब्रेक लें और गर्दन के व्यायाम करें।
घुटनों में दर्द
जोड़ों में दर्द के मामले में घुटनों का दर्द सबसे अग्रणी रहा है।
दरअसल घरों में प्रोफेशनल वर्क स्टेशन नहीं होने से वें लोग पलंग, सोफे या गद्दे पर बैठकर या पैरों को मोड़कर काम कर रहे हैं, जिससे पैरों से जुड़ी कई समस्याएं हो रही हैं।
इनमें घुटनों का दर्द सबसे प्रमुख है। जो लोग मेज-कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं, अगर वो लंबे समय तक पैरों को लटकाकर बैठेंगे तो उनके पैरों की मांसपेशियां और तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं।
साथ ही, पैरों के निचले हिस्से में सूजन आने लगती है।
घुटनों में दर्द का इलाज
काम के बीच में नियमित रूप से ब्रेक लेने को आदत बना लें।
इस दौरान, बाहर खुले में चहलकदमी कर लें। इससे मांसपेशियों व जोड़ों को आराम मिलेगा। शरीर सीधा होने पर सभी हिस्सों तक खून का संचार भी बेहतर हो सकेगा।
नियमित योग और व्यायाम करें।
फ्रोजन शोल्डर
फ्रोजन शोल्डर को चिकित्सीय भाषा में एडहेसिव कैप्सुलिटिस कहते हैं।
फ्रोजन शोल्डर की समस्या तब होती है, जब कंधे के जोड़ के चारों ओर स्थित कैप्स्यूल और लिगामेंट्स में सूजन आ जाती है और वो इतने कड़े हो जाते हैं कि उन्हें सामान्य ढंग से, हिलाने-डुलाने में भी दिक्कत होती है।
इसके कारण कंधे के जोड़ों में अत्यधिक दर्द होता है। वैसे, फ्रोजन शोल्डर की समस्या कई कारणों से हो सकती है।
पर, कंप्यूटर या लैपटॉप पर लगातार काम करना, टाइपिंग करना, मोबाइल फोन पर लंबे समय तक चैटिंग करना, प्रमुख रिस्क फैक्टर बन रहे हैं।
फ्रोजन शोल्डर का इलाज
इस तरह के जोड़ों में दर्द से बचने के लिए नियमित व्यायाम करें, इससे कंधे सहित शरीर के विभिन्न जोड़ों में. लचीलापन बना रहता है।
अगर आप किसी ऐसे प्रोफेशन से जुड़े हैं, जिसमें हाथों का इस्तेमाल अधिक होता है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर कंधे के जोड़ों को लचीला बनाए रखने के लिए किए जाने वाले खास व्यायाम करें।
टेक्सटिंग थम्ब
स्मार्टफोन पर लगातार टाइप करना और अंगूठे से टैपिंग करते रहना, अंगूठे को नुकसान पहुंचाता है। इससे थम्ब आर्थाइटिस (अंगूठे के जोड़ का गठिया) हो सकता है।
इससे अंगूठे को मोड़ने में दर्द होने लगता है। अगर आपके अंगूठे के टेंडन्स क्षतिग्रस्त हो गए हों, तो टेंडोनिटिस विकसित होने की आशंका हो सकती है, जिससे सूजन और दर्द होता है।
टेक्सटिंग थब का इलाज
अंगूठे के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें। टेक्स्ट करते समय अपनी उंगलियों का इस्तेमाल भी करें। लगातार टाइपिंग और टैपिंग न करें।
उंगलियों के जोड़ों में दर्द
स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से 'टेक्स्ट क्लॉ' की समस्या हो जाती है।
यह दर्द हाथों के पंजों और कलाइयों में फैल सकता है। मोबाइल फोन पर टेक्स्ट मैसेज करने या गेम खेलने से सभी उंगलियों की तंत्रिकाएं कमजोर हो जाती हैं और ये कड़ी हो जाती हैं, जिससे उन्हें हिलाना - डुलाना भी मुश्किल होने लगता है।
उंगलियों के जोड़ों में दर्द का इलाज
उंगलियों के जोड़ों से उंगलियों को मोड़ने व सीधा करने के व्यायाम करें। हाथों व कलाइयों को स्ट्रेच करें व मसाज करें। संभव हो तो हैंड फ्री इस्तेमाल करें।
कार्पल टनल सिंड्रोम
कार्पल टनल सिंड्रोम को मीडियन नर्व कम्प्रेशन भी कहते हैं।
यह सिंड्रोम तब होता है, जब मीडियन नर्व पर दबाव पड़ता है। मीडियन नर्व पर दबाव पड़ने से पंजों और हाथों में सुन्नपन, झुनझुनी और कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
कंप्यूटर और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल के कारण कार्पल टनल सिंड्रोम के काफी मामले सामने आ रहे हैं।
कार्पल टनल सिंड्रोम का इलाज
इस तरह के जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए अपने हाथों को आराम देने के लिए काम के दौरान बार-बार ब्रेक लें।
गैजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें। सूजन को कम करने के लिए कोल्ड पैक्स लगाएं।
अगर हाथों और पंजों में दर्द हो रहा है, तो एक प्याले में थोड़ा गर्म पानी लें, उसमें कलाई तक अपने हाथ को खोले और बंद करें।
ऐसा एक दिन में 3 सें 4 बार करें।
एगोनोमिक्स क्या है ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 'गैजेट का बढ़ता चलन और इस्तेमाल के समय सही पॉश्चर नहीं रखना, रीढ़ से जुड़ी समस्याओं का सबसे प्रमुख कारण है।
आज कंप्यूटर और लैपटॉप जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं, इसलिए एर्गोनॉमिक्स ठीक रखना जरूरी है।
इसके हित आप जानते हैं कि -
- कंप्यूटर पर काम करते समय कैसे बैठें,
- सही पोजीशन क्या हो, की-बोर्ड कहां हो,
- मेज व कुर्सी की हाइट कितनी हो, आदि।
- कंप्यूटर के सामने बैठते समय पीठ सीधी होनी चाहिए, खासकर रीढ़ `की हड्डी।
- कंप्यूटर की स्क्रीन आंखों से 15 डिग्री नीचे की तरफ होनी चाहिए।
- स्क्रीन ओर आंखों के बीच करीब 2 फीट की दूरी होनी चाहिए।
- लैपटॉप भी हमेशा मेज पर रखकर इस्तेमाल करें, गोद में रखकर नहीं
डिजिटल डिटॉक्स क्या है
उसे देखते हुए सप्ताह में एक बार डिजिटल डिटॉक्स करना बहुत जरूरी है।
अन्यथा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर होने वाले इन के खतरों को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
डिजिटल डिटॉक्स के लिए सप्ताह में एक बार अपनी बैटरी को चार्ज करने के लिए समय निकालें, उस दिन गजट का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें या बहुत ही कम करें।
कुछ समय प्रकृति के साथ बिताए। ताजी हवा में सांस ले। सूरज की रोशनी का अनुभव ले।
अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि इन दोनों का हमारे मूड और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ समय बिताएं, अपना कोई शौक पूरा करें।
ब्रिटिश जनरल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, ' लोग देर रात तक गैजेट का इस्तेमाल करते हैं इससे उनकी नींद पूरी नहीं होती और वह नियमित रूप से एक्सरसाइज भी नहीं कर पाते हैं।
अपनी हड्डियों और जोड़ों की मांसपेशियों को लचीला बनाए रखने के लिए आप रोज हमेशा व्यायाम करें।
साथ ही छुट्टी के दिनों में घर से बाहर की गतिविधियों में भी सक्रिय रहें, जैसे साइकिलिंग,, तैराक, ट्रेकिंग या कोई अन्य और खेल।
2 साल के छोटे बच्चों को गैजेट से हमेशा दूर रखें, उनके साथ टीवी भी दूर से ही देखें उसमें भी 2 घंटे से अधिक का समय उनके साथ ना बताएं।
डिजिटल डिटॉक्स के लिए पर्याप्त स्क्रीन टाइम
इसीलिए हमने आपको, स्क्रीन टाइम बताया है, आप हमेशा कोशिश करें कि इससे ज्यादा आपके गैजेट्स का स्क्रीन टाइम ना हो :
0-2 वर्ष - 0 घंटा
2-17 वर्ष - 2-12/2 घंटा
17 वर्ष से अधिक - 6 घंटे
चलते चलते
इसीलिए जितना ज्यादा हो सके गैजेट से दूरियां बनाने का प्रयास करें या गैजेट्स के इस्तेमाल पर अपनी निगरानी बनाए रखें ताकि आपको जोड़ों में दर्द की ज्यादा समस्याओं का सामना ना करना पड़े।
आशा है इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद जोड़ों में दर्द के उपाय कि आपकी समस्या समाधान हो गई होगी।
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